व्यक्ति के कर्म या उसके द्वारा किए गए कुछ पिछले कर्मों के परिणामस्वरूप कालसर्प योग दोष कुंडली में होना माना जाता है। इसके अलावा, यदि व्यक्ति ने अपने वर्तमान या पिछले जीवन में सांप को नुकसान पहुंचाया हो तो भी काल सर्प योग दोष की निर्मिति होती है।
हमारे मृत पूर्वजों की आत्माए नाराज होने से भी यह दोष कुंडली में पाया जाता है। संस्कृत में काल सर्प दोष द्वारा कई सारे निहितार्थ सुझाए गए है। यह अक्सर कहा जाता है कि अगर काल सर्प दोष निवारण पूजा नहीं की गयी तो, संबंधित व्यक्ति के कार्य को प्रभावित करेगा और सबसे कठिन बना देगा।
ज्योतिष में, मंगल दोष (या मांगलिक दोष) एक ऐसी स्थिति है जो किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह के कुछ विशेष भावों में होने से बनती है, जिसे वैवाहिक जीवन में समस्याएं आने का कारण माना जाता है।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो तो उसे मंगल दोष या मांगलिक दोष कहा जाता है। कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि मांगलिक व्यक्ति का जीवनसाथी के साथ संबंध खराब हो सकता है. ज्योतिष में मंगल ग्रह की ऐसी स्थिति को वैवाहिक जीवन के लिए अशुभ माना जाता है।
भगवती लक्ष्मी कमल के आसन पर विराजमान हैं, कमल की पँखुड़ियों के समान सुन्दर बड़े-बड़े जिनके नेत्र हैं, जिनकी विस्तृत कमर और गहरे आवर्तवाली नाभि है, जो पयोधरों के भार से झुकी हुयी तथा सुन्दर वस्त्र के उत्तरीय से सुशोभित हैं, जो मणि-जटित दिव्य स्वर्ण-कलशों के द्वारा स्नान किये हुये हैं, वे कमल-हस्ता सदा सभी मङ्गलों के सहित मेरे घर में निवास करें।
आवाहन करने के उपरान्त निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करके देवी के आसन के लिये पाँच पुष्प अञ्जलि में लेकर अपने सामने छोड़े। पुष्पाञ्जलि-रूप आसन प्रदान करने के उपरान्त, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये हाथ जोड़कर देवी श्रीलक्ष्मी का स्वागत करें।
महामृत्युंजय जप अनुष्ठान एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है, जो अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति, रोगों से राहत और दीर्घायु के लिए किया जाता है.
ज्योतिषियों का मानना है कि कुंडली में शामिल चंद्र दोष को दूर करने के लिए पूर्णिमा की रात में चंद्रदेव को जल अर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही चंद्र दोष दूर करने के लिए सफेद चीजें जैसे- चावल, शक्कर, दूध आदि का दान करें. जब किसी भी कारण से व्यक्ति के ऊपर अकाल मृत्यु का या मृत्यु तुल्य कष्ट का खतरा मडराने लगा हो तो महामृत्युंजय मन्त्र का अनुष्ठान, मन्त्रों के माध्यम से उपचार करने का एकमात्र रास्ता रह जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यदि स्वयं शिव ने ही मृत्यु सुनिश्चित ना कर दी हो तो इस मन्त्र में, यमराज के मुंह से भी व्यक्ति को बाहर लाने का सामर्थ्य है
वित्त समस्या" का मतलब है धन या वित्तीय संसाधनों से जुड़ी कोई भी मुश्किल या चुनौती। यह व्यक्तिगत या व्यावसायिक स्तर पर हो सकती है, और इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि ऋण, खर्च, निवेश आदि.
अगर आप वित्त संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो ज्योतिष के अनुसार कुछ उपाय बताए गए हैं, जैसे कि तिजोरी में काला पत्थर रखना, भगवान गणेश की पूजा करना और लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करना. तिजोरी या सुरक्षित स्थान पर काला पत्थर रखने से शनि देव के प्रभाव से बचाव होता है और वित्तीय संकट कम हो सकता है. कनेर का फूल धार्मिक महत्व रखता है और इसे शुभ माना जाता है. यदि आप दुकान में बिक्री कम हो रही है, तो कनेर का फूल घिसकर उसका तिलक लगाकर दुकान पर जाएं.
ज्योतिष के अनुसार, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए ग्रहों की स्थिति और कुछ विशेष भावों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। 6वां, 8वां और 12वां भाव स्वास्थ्य से जुड़े होते हैं, और कुछ ग्रहों के विशेष योग या कमजोर स्थिति बीमारियों का संकेत दे सकते हैं.
ग्रहों के गोचर और दशाओं (ग्रहों की अवधि) की जाँच करके इन स्वास्थ्य समस्याओं के समय की भविष्यवाणी की जा सकती है, जिससे व्यक्ति को बेहतर तरीके से तैयार होने और निवारक उपाय करने में मदद मिल सकती है. नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि नियमित रूप से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाले मंत्रों का जप करना.
नौकरी में परेशानी होने पर, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुछ उपाय बताए गए हैं, जैसे कि हनुमान जी की पूजा करना, सुंदरकांड का पाठ करना, और पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाना.
हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करें, सुंदरकांड का पाठ करें, और हनुमान जी को नारियल, फल और मिठाई का भोग लगाएं। कुंडली में दशम भाव के स्वामी को मजबूत करने के लिए उपाय करें, क्योंकि यह नौकरी और करियर को दर्शाता है. अगर नौकरी में परेशानी आ रही है तो शनि और मंगल को शांत करने के उपाय करें, क्योंकि इन्हें नौकरी में बाधा डालने वाला माना जाता है.
रुद्राभिषेक अर्थात रुद्र का अभिषेक। रूद्र यानि भगवान शिव का अभिषेक अर्थात भगवान शंकर को जब स्नान कराया जाता है तो उसे रुद्राभिषेक की कहते हैं। रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Mantra) द्वारा किया जाने वाला एक शक्तिशाली ऊर्जा पूर्ण कार्य है, जिसकी वजह से भगवान शिव की असीम अनुकंपा शीघ्र ही प्राप्त होती है। रुद्राभिषेक मंत्रों द्वारा किया जाता है और वास्तव में रुद्राभिषेक मंत्र कोई एक मंत्र नहीं बल्कि मंत्रों का समूह है, जो 'शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी' के रूप में भी जाना जाता है। इसे केवल 'रुद्राष्टाध्यायी' भी कहते हैं और “रुद्री पाठ” के नाम से भी इसको जाना जाता है।
रुद्राभिषेक मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सटीक और अचूक उपाय है क्योंकि इसके पाठ अथवा जप करने से भगवान शिव व्यक्ति को सभी सुख-सुविधाओं से संपूर्ण बनाते हैं और उसके जीवन में चली आ रही समस्याओं का अंत हो जाता है। अर्थात भगवान शिव की कृपा को शीघ्र अति शीघ्र प्राप्त करने के लिए रुद्राभिषेक मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है।